बड़ भाई को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ
बड़ भाई
पिता के आशीर्वाद सा
सदा रहा है
बड़ भाई का स्नेह
हम सबके साथ।
व्रत-त्योहार, पूजा, शादी-ब्याह
बड़ भाई निभाता रहा है
पिता की हर जिम्मेदारी।
शगुन से भरता रहा है
हम बहनों की झोली
गौरवान्वित होता रहा है
हमारी हर उपलब्धि पर
देता रहा है आशीष हमें
सदा खुश रहने का
भाभी के साथ सबसे पहले
हम बहनों को याद कर लेता है हर खुशी में
माँ के घर के एक कोने में
बड़ भाई ने आज भी बचाकर रखा है
हम सभी भाई-बहनों का बचपन
बचपन की ढेर सारी यादें
लौट जाते हैं उन्ही दिनों में हम
जब भी इकठ्ठा होते हैं ।
भाई-भाभी के साथ
महसूस कर पाते हैं
माँ- पिता की उपस्थिति।
बरसों पुरानी एल्बम में
हीरो सा दिखता बड़ भाई
बीतते बरसों के साथ
कब पिता सा दिखने लगा
हम जान ही नहीं पाए
दोस्तों के लिए फौजी
माँ के लिए सरूप
और हम सबके लिए
बड़ भाई को देख
अक्सर लगता पिता लौट आए हैं।
डाॅ सरोज अंथवाल
Friday, 21 August 2020
बड़ भाई
बड़ भाई को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ
बड़ भाई
पिता के आशीर्वाद सा
सदा रहा है
बड़ भाई का स्नेह
हम सबके साथ।
व्रत-त्योहार, पूजा, शादी-ब्याह
बड़ भाई निभाता रहा है
पिता की हर जिम्मेदारी।
शगुन से भरता रहा है
हम बहनों की झोली
गौरवान्वित होता रहा है
हमारी हर उपलब्धि पर
देता रहा है आशीष हमें
सदा खुश रहने का
भाभी के साथ सबसे पहले
हम बहनों को याद कर लेता है हर खुशी में
माँ के घर के एक कोने में
बड़ भाई ने आज भी बचाकर रखा है
हम सभी भाई-बहनों का बचपन
बचपन की ढेर सारी यादें
लौट जाते हैं उन्ही दिनों में हम
जब भी इकठ्ठा होते हैं ।
भाई-भाभी के साथ
महसूस कर पाते हैं
माँ- पिता की उपस्थिति।
बरसों पुरानी एल्बम में
हीरो सा दिखता बड़ भाई
बीतते बरसों के साथ
कब पिता सा दिखने लगा
हम जान ही नहीं पाए
दोस्तों के लिए फौजी
माँ के लिए सरूप
और हम सबके लिए
बड़ भाई को देख
अक्सर लगता पिता लौट आए हैं।
डाॅ सरोज अंथवाल
बड़ भाई
पिता के आशीर्वाद सा
सदा रहा है
बड़ भाई का स्नेह
हम सबके साथ।
व्रत-त्योहार, पूजा, शादी-ब्याह
बड़ भाई निभाता रहा है
पिता की हर जिम्मेदारी।
शगुन से भरता रहा है
हम बहनों की झोली
गौरवान्वित होता रहा है
हमारी हर उपलब्धि पर
देता रहा है आशीष हमें
सदा खुश रहने का
भाभी के साथ सबसे पहले
हम बहनों को याद कर लेता है हर खुशी में
माँ के घर के एक कोने में
बड़ भाई ने आज भी बचाकर रखा है
हम सभी भाई-बहनों का बचपन
बचपन की ढेर सारी यादें
लौट जाते हैं उन्ही दिनों में हम
जब भी इकठ्ठा होते हैं ।
भाई-भाभी के साथ
महसूस कर पाते हैं
माँ- पिता की उपस्थिति।
बरसों पुरानी एल्बम में
हीरो सा दिखता बड़ भाई
बीतते बरसों के साथ
कब पिता सा दिखने लगा
हम जान ही नहीं पाए
दोस्तों के लिए फौजी
माँ के लिए सरूप
और हम सबके लिए
बड़ भाई को देख
अक्सर लगता पिता लौट आए हैं।
डाॅ सरोज अंथवाल
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